भिखारन || New Nirankari Poem || New Nirankari Song 2021 || Tu hi nirankar.

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भिखारन

नाथ तुम्हारी बस्ती में
एक नई भिखारन आई है
पास नहीं है दौलत जग की
दिल की दौलत लाई है

एक भरोसा, एक आस ले
आ बैठी है द्वार तुम्हारे
तुम करूणा के सागर तुमने
लाखों के हैं काज संवारे

जीवन है कागज की कश्ती
गहरा है सागर का पानी
बिना तुम्हारे कौन करेगा
मानव जीवन में आसानी

हिचकोले खाती कश्ती को
भवसागर से पार लगा दो
सबर, शुकर से झोली भर दो
मन में सच्चा प्यार जगा दो

आँखों को वो नज़र बख्श दो
तेरा असली रूप निहारें
कानों को दो अनहद बन्सी
खुद तरें, औरों को तारें

आज भिखारन की झोली में
खुशियों का वरदान डाल दो
मोक्ष मिले जिससे जीवन में
कुछ ऐसा भगवान डाल दो




... 

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