भक्ति अच्छी चल रही है। Nirankari Lekh..

आप सभी के पावन पवित्र चरणों में दास का प्यार भरा। धन निरंकार जी।

भक्ति अच्छी चल रही है

सुबह का समय था। बाबा गुरु वचन सिंह जी और सिक्का जो को सन्त निरंकारी मण्डल की लेखा-जोखा गतिविधियों को पारदर्शी साफ-सुथरा रखने के उपायों से संबंधित मार्गदर्शन दे रहे थे जिसे बाद में एकाउंट मैनुअल का रूप दिया जाना था। उसी समय यहां बाहर से एक महापुरुष का आना हुआ। उन्होंने बाबा जी के चरणो में नमन किया। बाबा जी ने पूछा, "आपके यहां संगत ठीक चल रही है। महात्मा ने उत्तर दिया, "सच्चे पातशाह जी सब ठीक चल रहा है। हां, हमारी ब्रांच के एक महात्मा की भक्ति तो बहुत ही सुन्दर चल रही है। बाबा जी हाथ का कार्य रोककर उनकी तरफ देखने लगे और पूछा, उनकी भक्ति इतनी अच्छी चल रही है तो कुछ और उस बारे में बताओ।"

महात्मा ने बड़ी शालीनता व विनम्रता से इस महात्मा की खूबियो उजागर करना शुरू करते हुए कहा, "बाबा जी संगते उनकी बात बड़े ध्यान से सुनती है, उनके एक-एक शब्द इतने मीठे व सुन्दर होते हैं कि बस सुनते ही चले जाओ।"

बाबा जी हंस पड़े और फरमाने लगे, "भक्ति नहीं, मुझे तो लग रहा है कि भक्ति की बातें बहुत अच्छी चल रही है। वो महात्मा प्यार से बोलते हैं और सुनने वाले सन्तजन प्यार से सुनते हैं, अच्छी बात है पर यह तो बताओ कि वो सेवा कौन सी संभालते है? उत्तर मिला, "बाबा जी सेवा तो कोई नहीं संभालते पर उनके वचन बहुत अच्छे लगते हैं।"

बाबा गुरबचन सिंह जी ने फरमाया, "उनको बोलो‌ कि कोई सेवा मांग लें और उस सेवा में अपना समय लगाएं। ध्यान रहे कि जब वो सेवा करना आरम्भ करेंगे तो हो सकता है कि सेवा करते हुए कोई उनकी कमी बताए या उनकी आलोचना करे। उस समय उनको चाल में कोई फर्क नहीं आना चाहिए। प्रशंसा की भूख से परे उनकी सेवा पूर्व जैसी सेवा भावना के साथ चलती रहनी चाहिए तभी कह सकेंगे कि भक्ति की बातें ही नहीं भक्ति भी अच्छी चल रही है।"

जोगिन्दर मनचन्दा जी

धन निरंकार जी

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