माया से बच कर रहना है || Sampurn Hardev Bani || Verse- 50

संपूर्ण हरदेव बाणी | सबद - ५०

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हिंन्दी मे पढ़े।

माया से बचकर रहना है सन्तों ने फरमाया है।

मगर न कोई जान सका ये किसको कहते माया है।

वो हर वस्तु माया है जो दूर करे भगवान से।

सेवा सत्संग सुमिरण से और निरंकार के ध्यान से।

धन दौलत ही नहीं है माया पद पदवी भी माया है।

ये माया प्रबल है इसने सबको ही उलझाया है।

लोभ है माया लालच माया अभिमान भी माया है।

मन के अन्दर पाल रखा जो मिथ्या मान भी माया है।

इस माया से आज तलक न कोई भी बच पाया है।

बचा वही है जिस पर गुरु की रहमतों का साया है।

कहे 'हरदेव' इस दुनिया को ठगती ठगनी माया है।

लेकिन भक्तों ने माया को ठगा है नाच नचाया है।।


Read in English,

The saints have ordered to stay away from Maya.

But no one could know whom this is called Maya.

Everything that is Maya removes from God.

Seva satsang from Sumiran and meditation of Nirankar.

Wealth is not only wealth, it is also Maya and the title is Maya.

This maya is strong, it has confused everyone.

Greed is Maya. Greed, Maya, pride is also Maya.

Putting sails inside the mind, which is false, is also illusion.

Today no one has been able to escape from this illusion.

He is the one who is possessed by the mercy of the Guru.

Say 'Hardev' is a cheating thug to this world.

But the devotees have duped Maya and made them dance.

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