Har Paristhiti Me Sthirata Kayam Rahe, Nirankari Thought (Hindi)


हर परिस्थिति में स्थिरता कायम रहे..

साध संगत जी, प्यार से कहना- धन निरंकार जी।

साध संगत जी, महाराष्ट्र के प्रादेशिक निरंकारी सन्त समागम के दूसरे दिन आज फिर एक बार ध्यान इस परमात्मा की ओर सभी वक्ताओं, गीतकारों, कवियों ने लगाया है कि जो भी हो इस परमात्मा पर ही अपने आप को आधारित रखें। मन को स्थिर रखने के लिए ध्यान एकाग्र करने का तरीका यही बताया कि कैसे अपने जीवन काल में देखते चले जाएं कि कोई अगर एक छोटे बच्चे ने स्कूल की पढ़ाई बहुत अच्छी की हो लेकिन परिणाम उतने अच्छे न आए हों तो फिर उसका मन अस्थिर हो जाता है कि इतनी मेहनत और लगन से पढ़ाई करने के बाद भी जब रिपोर्ट कार्ड हाथ में आया तो जो सोचा था उससे तो बहुत कम अंक आए। मन का स्वाभाविक रूप से अस्थिर हो जाना हुआ कैसे? घर वालों ने भी हो सकता है कुछ कह देना कि पढ़ाई अच्छे से नहीं की होगी तभी तो परिणाम खराब आया। फिर उस छात्र का मन व्याकुल होना कि पूरी पढ़ाई और इतनी प्रैक्टिस के बाद भी कम अंक का आना, वही बात के कुछ समझ में न आना और फिर इस सबके गिले-शिकवे परमात्मा से करना।

ऐसे ही अगर कोई रिश्ता, किसी का किसी के साथ मुकम्मल न हो तो फिर एक शिकायत मन में आना कि जब तक सब ठीक था तब तक तो सब अच्छा लगना और जैसे ही कोई बाधा आई उस रिश्ते में तो कैसे फिर उससे बदला लेने की भावना तक मन में आ जाती है। सोशल मीडिया का भी प्रयोग करना कि कैसे एक-दूसरे इंसान को बदनाम किया जाए, क्योंकि अपनी पूरी कोशिश के बावजूद भी हमें एक उस तरह का परिणाम जो चाह रहे थे वो नहीं मिला। वो एक कमी हो जाने या कुछ जीवन की यात्रा में जब अपने आगे किसी के बच्चे या पोते- धोते होने की उम्र में भी देखना कि जीवन में उनकी नौकरी लगे या नहीं भी लगे। तो इससे सिर्फ उसी का मन व्याकुल न होना बल्कि पूरे परिवार का साथ में परेशान हो जाना।

 धन निरंकार जी🙏🙏

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